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कविता

विदा

बद्रीनारायण


पहचान में नहीं आ रहा था कि
दोनों में से कौन किसकों विदा करने आया है
दोनों अत्यंत आकर्षक थे
अत्यंत आधुनिक
पर एक बात प्राचीन थी
कि दोनों रो रहे थे

 


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हिंदी समय में बद्रीनारायण की रचनाएँ